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Dulha Hawalaat Main

Original price was: ₹ 375.00.Current price is: ₹ 350.00.

Book Author: Nathi Ram Dehati
Language:

जीवन सदा संसार की हवालात में कैद रहा। आत्मा देह की हवालात में कैद है। अच्छाई बुराई की हवालात में कैद है। रिश्ते लालच की हवालात में कैद हैं। सत्य को झूठ ने कैद करने का प्रयास किया। अनुशासन अराजकता की हवालात में है। ज्ञान को मूर्ख और जुगाड़ू लोग कैद करने पर तुले हैं। कविता इन सबको स्वतंत्र करने का साधन है। भाई नाथीराम ‘देहाती’ की सीधी सहज कविताएँ श्रोताओं से सीधा संवाद करती हुई हृदय में उतर जाती हैं। मैंने इनमें से ज्यादातर कविताओं को मंचों से भी सुना है और श्रोताओं पर इन कविताओं का सम्मोहन और जादू भी देखा है। रात-रात-भर बैठकर कवि-सम्मेलनों में ‘देहाती’ जी की कविता लोग आनंद से सुनते हैं। जहाँ आज हास्य कविता के नाम पर ज्यादातर कचरा परोसा जा रहा है, हास्य कवि विदूषक की तरह व्यवहार करने लगे हैं। अश्लील और फूहड़ टिप्पणी से लोग हँसाने की कोशिश कर रहे हैं। तालियों के शोर में कविता का प्राणतत्व मानो खो गया है। वहीं नाथीराम ‘देहाती’ जी कविता के घुटन-भरे माहौल में एक सुखद वातायन हैं। उनकी कितनी ही ऐसी कविता हैं, जिन्हें कोई एक बार सुन ले तो जीवन-भर उनके साथ हो लेता है जैसे— ‘चाट का पत्ता’, खुन्नी खाट, कफन का जोड़ा, गलियों की महिमा, गरीबी, अर्थी, मोहब्बत की दुकान आदि। भाई नाथीराम ‘देहाती’ जी की कविता मिठास में डूबी हुई वह कड़वी गोली है, जो समाज में व्याप्त बहुत-सी बीमारियों का उपचार करने में सक्षम हैं। ऐसी कविताओं के माध्यम से वे समाज का उपकार ही नहीं उपचार भी कर रहे हैं। वे कविता की रचना ही नहीं करते अपितु कवि-धर्म का पालन भी कर रहे हैं। उनके अचेतन और चेतन मन में गाँव आज भी जाग रहा है।

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