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Rattan Chand Sardana
रत्न चन्द सरदाना
एम.ए., बी.टी.
सरदाना जी का जन्म 10 अप्रैल 1941 ई. को तत्कालीन पश्चिमी पंजाब के जिÞला मुज्जफरगढ़ के एक छोटे से गाँव खाड़कें में हुआ था। इनके पिता स्व. श्री रम चन्द हकीम तथा माता श्रीमती रामप्यारी सद्गृहिणी थे। उन दोनों का स्वभाव सरल था। वे सेवा भावी थे। परिवार आिर्थक रूप से संपन्न था।
सरदाना जी अपने बाल्यकाल में देश की स्वतंत्रता का उल्लास, सांप्रदायिक उन्मान का भीषण रूप तथा गरीबी को भोगा है। इन घटनाओं ने बाल मन को आहत किया। किंतु पारिवारिक सुसंस्कारों के कारण उनके व्यवहार में कटुता नहीं आई। ऐसी त्रासदी की पुनरावृत्ति न हो, अगली पीढ़ी को जानकारी देना वह अपना पुनीत कार्य मानते हैं।
श्री सरदाना जी हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी तथा सिरायकी के जानकार हैं। अल इंडिया रेडियो व रोहतक केन्द्रों से उनकी वातार्एं व कवितापाठ प्रसारित होती रही हैं। उनकी कविताएं राष्ट्रभाव से ओत-प्रोत रहती हैं। राष्ट्रीय महापुरुषों की जीवनियाँ उन्हें आकर्षित करती है। उनके उपन्यासों का फलक व्यापक, वार्तालाप को शैली में लेखन, भाषा सरल, एकात्मवादी दृष्टिकोण, मुहावरों का प्रयोग विषयों को विविधता उनके लेखन का वैशिष्ट है। लघुकथाओं में व्यंग्य का भरपूर पुट है।
उपलब्धियां : ’ राज्य शिक्षक पुरुस्कार प्राप्त
’ हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित
’ संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित
’ विद्या भारती उत्तर क्षेत्र द्वारा लेखक सम्मान
’ साहित्य सभा कैथल द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित
’ भाषा विभाग हरियाणा द्वारा पुरस्कृत
’ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित
’ अखिल भारतीय प्रेरणा साहित्य एवं शोध संस्थान की ओर से
’ प्रेरणा आजीवन साहित्य साधना सम्मान 2025
’ पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, अहमदाबाद द्वारा सम्मानित
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