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Tishngi

Original price was: ₹ 200.00.Current price is: ₹ 180.00.

Book Author: Pramod Kumar Sharma
Language:

तिश्नगी (प्यास) ग़ज़ल संग्रह =========== जीवन यात्रा तिश्नगी से ही शुरू होती है और तिश्नगी के साथ ही अंतिम पड़ाव तक पहुँचती है। इस यात्रा में हमें तिश्नगी के विविध रूप रंग और आकार देखने को मिलते है।इन्हीं विविध आयामों को तेवर के साथ इस ग़ज़ल संग्रह (तिश्नगी) को प्रस्तुत किया गया है, ग़ज़ल विधा में कहा गया हर शेर ख़ुद में एक इकाई होता है, जो दो लाइनों में ही विषय की व्याख्या कर देता है. शेर- तिश्नगी का है इक समंदर है तू ये बता क्यों है मेरे अंदर तू। ============================= मेरे ईमान की बोली कुछ तो मुनासिब लगा इतना सस्ता नहीं दाम कुछ और साहिब लगा। ============================= बाज़ार में ख़ुद को उतार बैठा हूँ मैं माल बेचकर उधार बैठा हूँ। ============================= वक़्त जब भी शिकार करता है अक्ल को तार तार करता है। ============================= आज मुझे बस ख़बर लगी ये कब का रुख़सत तू हो चुका है। ============================== मुमकिन है दिल को होश आ ही जायेगा महबूब का झूठा मुझे दो जाम अब। ============================== ज़िंदगी ने ज़िंदगी में नाच यूँ किया किस निगाह मुझको मसख़रा किया नहीं। ============================== क्यों क़त्ल मिरा करके आशिक ने कहा मुझसे अब बोल के नैनो से शमशीर नहीं चलती। (शमशीर-तलवार) ==-=========================== तिश्नगी ऐसा ही एक सफ़र है, इस सफ़र के मुसाफिर हम सब है,तिश्नगी ज़रूरी है, जीने के लिए, कुछ पाने के लिए अनुभव के लिए, आओ तिश्नगी को एक अवसर में बदल कर सपने साकार करें। प्रमोद कुमार शर्मा

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