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Vichar Manthan

Original price was: ₹ 225.00.Current price is: ₹ 200.00.

Book Author: Arvind Kumar
Language:

एक शिक्षक, लेखक और समाजसेवी होने के नाते मेरे सामने समाज की अनेक परतें खुलती हैं- कभी एक छात्र की आँखों से, कभी एक माँ के आँसुओं से, और कभी एक बुज़ुर्ग के मौन से। यही जीवन के अनुभव मेरी लेखनी का आधार बने। इस संग्रह की शुरुआत मैंने “शिक्षित और अशिक्षित का सही अर्थ व भेद” जैसे मूलभूत सामाजिक प्रश्न से की है, क्योंकि आज भी समाज में शिक्षित होना केवल डिग्री तक सीमित समझा जाता है, जबकि सच्ची शिक्षा व्यवहार, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़ी होती है। आज का शिक्षक केवल ज्ञान नहीं देता, वह दिशा भी देता है। इसी उद्देश्य से “चुनौतीपूर्ण होता है शिक्षण” जैसे लेख में शिक्षकों की वास्तविक भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। जीवन में समय की महत्ता, विद्यार्थियों पर पड़ता मानसिक बोझ, परीक्षा में अंक प्रणाली की दौड़, या फिर किशोरों की भावनात्मक समस्याएँ—ये सभी पहलू ऐसे हैं जिनसे हर विद्यार्थी और अभिभावक रोज़ गुजरता है। “तनावमुक्त परीक्षा हेतु सुझाव”, “नन्हे कंधों पर भारी बोझ”, “किशोरावस्था में प्रेरणात्मक सलाह” जैसे लेख इस दिशा में सोचने को विवश करते हैं। वहीं दूसरी ओर “मोबाइल बना सौतन”, “मीडिया का सुरक्षित उपयोग”, “इंटरनेट और संचार के सुरक्षित साधन”, जैसे विषय आज के यथार्थ को छूते हैं जहाँ तकनीक ने रिश्तों और मूल्यों को भी प्रभावित किया है। इस संग्रह में “बेटी है अनमोल धरोहर” और “महिला दिवस के सही मायने” जैसे आलेख नारी सम्मान और उसके अस्तित्व की व्याख्या करते हैं, वहीं “वृद्धाश्रम – वरदान या अभिशाप” जैसे विषय परिवार व्यवस्था के पतन की ओर संकेत करते हैं। बदलते समाज में हम जाति, वर्ग, भाषा और पहचान के आधार पर बँटते जा रहे हैं। इसी चिंता को “अशोभनीय व निंदनीय हैं जाति-विशेष टिप्पणियाँ”, “अस्तित्व के लिए संघर्ष”, और “इतिहास से खिलवाड़” जैसे लेखों के माध्यम से उजागर किया गया है।

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