Richa Priydarshini

मैं ऋचा प्रियदर्शिनी मूलत: पटना बिहार से हूँ। मेरे पूज्य दादाजी स्व.श्री गुप्तेश्वर प्रसाद पटना न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता थे। मेरे पूज्य पिताजी स्व.श्री रामेश्वर प्रसाद बिहार प्रशासन के उच्च अधिकारी थे तथा मेरी पूज्या माताजी श्रीमती चिंता प्रसाद एक अधिवक्ता और समाज सेविका के रूप में निरंतर योगदान दे रही हैं। घर में शिक्षा और साहित्य का माहौल था। मेरी दादीजी विशारद थीं। मेरे दादाजी को दिनकर, बच्चन आदि कई कवियों को रूबरू सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। मेरे माता-पिता भी साहित्य में विशेष रुचि रखते थे और हमारे घर कई प्रबुद्ध लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध थीं।
मेरी औपचारिक शिक्षा ‘माउन्ट कार्मेल स्कूल’ पटना से शुरू हुई पर आई.सी.एस.ई बोर्ड मैंने ‘सेक्रेड हार्ट स्कूल’ डालटनगंज से की जो अब झारखंड में है। पिताजी के निरंतर स्थानान्तरण वश हमें विद्यालय बदलना पड़ा था। घर का माहौल और मेरी माता की साहित्य में रुचि ने मुझे सदा ही हिंदी के नामचीन साहित्यकारों की कृतियों से अवगत कराया। इंटरमीडिएट मैंने ‘पटना वीमेंस कॉलेज’ से साइंस में किया। स्नातक तथा स्नातकोत्तर बिहार के प्रसिद्ध संस्थान ‘पटना साइंस कॉलेज’ से करने का सौभाग्य मुझे मिला। तत्पश्चात मैंने आई.आई.बी.एम. पटना से एम.बी.ए. की भी डिग्री पाप्त की।
मेरा विवाह छपरा, बिहार में प्रतिष्ठित परिवार के स्व.डॉक्टर ब्रज बल्लभ सहाय और श्रीमती माधुरी सहाय के सबसे छोटे सुपुत्र श्री अरविंद कुमार सहाय जी से हुआ। विवाहोपरांत मैं भिलाई, छत्तीसगढ़ जो तब मध्य प्रदेश हुआ करता था में आ गई। मेरे पति ‘स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया’ के अधिकारी हैं तथा ‘भिलाई इस्पात संयंत्र’ में कार्यरत हैं। मेरे दो पुत्र अध्ययन रत हैं।
विगत कई वर्षों से मैं अपने निजी संस्थान के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हुई हूँ और अध्यापन का कार्य करती हूँ।
अच्छे रचनाकारों को पढ़ना मेरी विशेष रुचि रही है। लेखन कार्य में बचपन से ही रही हूँ। मैंने अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओं में रचनाएँ लिखी है। मेरी कविताएँ स्वयं को व्यक्त करने का माध्यम मात्र है। मैंने कई कवियों, रचनाकारों, लेखकों को पढ़ा और सुना है। मैंने सदैव अपनी शैली को सँवारने का प्रयास किया। हिंदी में लिखने का झुकाव मुझे मेरी माँ की प्रेरणा से मिला जो मेरी लिखी रचनाओं को विशेष रुचि व समीक्षक की दृष्टि के पढ़ती हैं। माँ सरस्वती की असीम अनुकम्पा रही कि मैं आज अपना तुच्छ योगदान दे पा रही हूँ जो कि विशाल साहित्य जगत में एक बूँद भी नहीं। पर मुझे वरिष्ठ विशिष्ट साहित्यकारों से जुड़कर आनंद की अनुभूति होती है और आंतरिक संतुष्टि मिलती है।
ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उनकी कृपादृष्टि सदैव रहे। लेखनी और मेरा साथ परस्पर बना रहे।
मेरी औपचारिक शिक्षा ‘माउन्ट कार्मेल स्कूल’ पटना से शुरू हुई पर आई.सी.एस.ई बोर्ड मैंने ‘सेक्रेड हार्ट स्कूल’ डालटनगंज से की जो अब झारखंड में है। पिताजी के निरंतर स्थानान्तरण वश हमें विद्यालय बदलना पड़ा था। घर का माहौल और मेरी माता की साहित्य में रुचि ने मुझे सदा ही हिंदी के नामचीन साहित्यकारों की कृतियों से अवगत कराया। इंटरमीडिएट मैंने ‘पटना वीमेंस कॉलेज’ से साइंस में किया। स्नातक तथा स्नातकोत्तर बिहार के प्रसिद्ध संस्थान ‘पटना साइंस कॉलेज’ से करने का सौभाग्य मुझे मिला। तत्पश्चात मैंने आई.आई.बी.एम. पटना से एम.बी.ए. की भी डिग्री पाप्त की।
मेरा विवाह छपरा, बिहार में प्रतिष्ठित परिवार के स्व.डॉक्टर ब्रज बल्लभ सहाय और श्रीमती माधुरी सहाय के सबसे छोटे सुपुत्र श्री अरविंद कुमार सहाय जी से हुआ। विवाहोपरांत मैं भिलाई, छत्तीसगढ़ जो तब मध्य प्रदेश हुआ करता था में आ गई। मेरे पति ‘स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया’ के अधिकारी हैं तथा ‘भिलाई इस्पात संयंत्र’ में कार्यरत हैं। मेरे दो पुत्र अध्ययन रत हैं।
विगत कई वर्षों से मैं अपने निजी संस्थान के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हुई हूँ और अध्यापन का कार्य करती हूँ।
अच्छे रचनाकारों को पढ़ना मेरी विशेष रुचि रही है। लेखन कार्य में बचपन से ही रही हूँ। मैंने अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओं में रचनाएँ लिखी है। मेरी कविताएँ स्वयं को व्यक्त करने का माध्यम मात्र है। मैंने कई कवियों, रचनाकारों, लेखकों को पढ़ा और सुना है। मैंने सदैव अपनी शैली को सँवारने का प्रयास किया। हिंदी में लिखने का झुकाव मुझे मेरी माँ की प्रेरणा से मिला जो मेरी लिखी रचनाओं को विशेष रुचि व समीक्षक की दृष्टि के पढ़ती हैं। माँ सरस्वती की असीम अनुकम्पा रही कि मैं आज अपना तुच्छ योगदान दे पा रही हूँ जो कि विशाल साहित्य जगत में एक बूँद भी नहीं। पर मुझे वरिष्ठ विशिष्ट साहित्यकारों से जुड़कर आनंद की अनुभूति होती है और आंतरिक संतुष्टि मिलती है।
ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उनकी कृपादृष्टि सदैव रहे। लेखनी और मेरा साथ परस्पर बना रहे।
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