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Mala Dayal

कवयित्री का परिचय
‘फादर आॅफ फॉरेनसिक मेडिसिन इन बिहार’ की उपाधि से नावाजे गए ‘डॉ जी.बी. सहाय’ की पौत्री और ‘डॉ ब्रज बल्ल्भ सहाय’ की बड़ी पुत्री के रूप में जन्म लेकर कालांतर में ‘अमलेश्वर दयाल’ की संगनी बनी माला दयाल आज महानगर मुंबई में रहती हैं।
जीवन का लम्बा समय विदेश में बीता पर भारतीयता का गुण बना रहा जिसका श्रेय संयुक्त परिवार में भरण-पोषण के कारण हो सकता है।
इनका बचपन अपने दादा-दादी के साथ बीता। संयुक्त परिवार में पली बढ़ी बिटिया पारिवारिक मूल्यों को भली-भांति समझती और जीवन भर निभाती आई। पापा और दादाजी दोनों ही डॉक्टर थे पर आध्यात्मिक गुण से ओत-प्रोत। दादी और माँ भी सात्विक विचारधारा की थी।
इनके घर से कोई भी निराश होकर नहीं जाता। खास कर अपने मातहत का ये बहुत ख्याल रखती। पर्व त्यौहार के अलावा भी काम करने वाली बाई यदि किसी दिन उपवास रखती तो उस दिन उसके लिए फलाहार बनाना ये नहीं भूलती। फलाहार बनाते समय ये कभी कोई भेद-भाव का विचार नहीं रखती। यही कारण है कि इनके मातहत इनसे बहुत प्यार करते हैं और मुम्बई जैसे महानगर में भी घर सेवक अनुचर से भरा रहता है। इनका यह प्यारा स्वभाव इनकी कविताओं में भी झलकता है।
प्रार्थना प्यार, मनुहार, आध्यात्मिक भाव से ओत-प्रोत दो कहानियाँ और 24 कविताओं का संग्रह, जिसकी हर कविताएँ दिल को छूने वाली है और दोनों कहानियाँ भी दिल के बहुत करीब हैं। जिसे हर उम्र के लोग पढ़ कर आनंदित होंगे।

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