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पुस्तक प्रेमियों का महाकुंभ दिल्ली विश्व पुस्तक मेला : 1 से 9 फरवरी 2025

पुस्तकों में आज भी आकर्षण शक्ति भरपूर है।आज भी पुस्तकें हमें अपनी तरफ खींचती हैं। पुस्तकों का आकर्षण देखना हो तो दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले पुस्तक मेलों में आने वाले अपार जनसमूह को देखा जा सकता है। प्रत्येक वर्ष दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाला पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों और पुस्तक व्यवसाय से जुडी कम्पनियों के लिए तो एक महाकुंभ की तरह है।

नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित होने वाला दिल्ली पुस्तक मेला कई मामलों में विशिष्ट होता है। इस पुस्तक मेले में केवल भारत के प्रकाशक ही शामिल नहीं होते बल्कि विश्व भर से पुस्तक व्यवसाय से जुडे संस्थान और प्रकाशक एवं अन्य देशों की सरकारों की भागीदारी इस मेले में होती है। यह मेला विश्वव्यापी ख्याति वाला है। पुस्तक मेले में कई हजार प्रकाशक एक छत के नीचे उपलब्ध होते हैं। साहित्य के हर विषय और पहलुओं पर यहाँ आपको पुस्तक प्राप्त हो जाती हैं। इस मेले में बच्चों से लेकर बड़ों तक एवं लगभग हर तरह की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। पुस्तकों की स्टॉल पर पुस्तक के पाठकों के लिए विभिन्न लुभावने ऑफर भी उपलब्ध होते हैं।

तकनीकी विषय की पुस्तकें हों या कि शैक्षिक पुस्तकें, रुचि की पुस्तकें हों या कि साहित्य की विभिन्न विधाओं की पुस्तकें, शोध की पुस्तकें हों या फिर ज्ञान संवर्धन की सामग्री सब कुछ पुस्तक मेंले में सहज उपलब्ध रहती हैं। अध्यात्म की विभिन्न धाराओं का साहित्य भी आपको यहाँ उपलब्ध रहता है। एक बार यदि आप पुस्तक मेले में आ गये तो आपका जाने का मन नहीं करता। पुस्तकें आपको बाँधती हैं। बड़े बड़े प्रकाशकों से लेकर प्रकाशन क्षेत्र के निचले पायदान पर खड़े प्रकाशक भी यहाँ आपको सहज ही मिल जाते हैं।

पुस्तक मेले का महत्त्व: यदि हम इन पुस्तक मेलों के महत्त्व की बात करें तो यह एक दुर्लभ अवसर होता है। क्योंकि आज के दौर में क्या कुछ और कितना कुछ लिखा-पढ़ा जा रहा है यह सब देखने और जानने का एक बहुत उत्तम स्थान पुस्तक मेला ही है। आप चाहे जिस व्यवसाय से जुड़े हैं, चाहे जो करते हैं, चाहे जो भी आपकी रुचियाँ हो आपकी पसंद की सामग्री और विचार आपको पुस्तक मेले में सहज उपलब्ध होते हैं। विश्व पुस्तक मेले में क्योंकि विश्व भर के प्रकाशक सम्मलित होते हैं अत: आपको यहाँ अपनी रुचि की पठनीय सामग्री मिलने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। पुस्तक मेलों में जा कर आप अपनी जिज्ञासाओं के हल सहज रूप से प्राप्त कर सकते हैं। बच्चों को मेले में ले कर जाएँ ताकि बच्चों का ज्ञान और पुस्तकों से लगाव विकसित हो सके। पुस्तक मेलों का महत्त्व आज की गहमागहमी भरी ज़िंदगी में और भी अधिक है क्योंकि आपको अपनी उलझनों और समस्याओं से बाहर ला कर आपके मन को ठंडी छांव भरा विश्राम यदि कहीं प्राप्त हो सकता है तो वो पुस्तकें ही होती हैं और ये पुस्तकें आपको पुस्तक मेले में सहज प्राप्त हो जाती हैं। पुस्तक मेले में जा कर आप अपनी रुचियों और उनसे जुड़ी संभावनाओं को देख सकते हैं, जान सकते हैं। पुस्तकों को अपना साथी बना कर आप बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं, और पुस्तकें बदले में आपसे कुछ भी नहीं चाहती हैं।

पुस्तक मेला और लेखक : लेखकों के लिए तो यह महाकुंभ एक दम मोक्ष का मार्ग खोलने वाला ही होता है। हर लेखक की कामना होती है कि वो पुस्तक मेले में एक लेखक के रूप में चिन्हित किया जा सके। लेखकों की पुस्तकों के विमोचन के कार्यक्रम पुस्तक मेले की शान होते हैं। बहुत गौरव का विषय होता है जब किसी लेखक की पुस्तक का विमोचन विश्व पुस्तक मेले में होता है। लेखक पुस्तक मेले में जा कर अनेक प्रकाशकों और उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का परिचय तो प्राप्त करते ही हैं साथ ही वो यह भी जानते समझते हैं कि उनकी ही विधा में अन्य लेखक क्या लिख रहे हैं और अन्य प्रकाशक क्या प्रकाशित कर रहे हैं। तकनीक के बढ़ जाने से पुस्तकों के स्वरूप में जो कुछ बदलाव आ रहे हैं उसको जानने समझने का अवसर लेखक को पुस्तक मेले में ही मिलता है। कई लेखक तो पुस्तक मेले की शान हो जाया करते हैं उनकी उपस्थिति से पुस्तक मेले खिल उठते हैं जब उनके प्रशंसक लेखक की पुस्तक खरीदते हैं और लेखक का ऑटोग्राफ पुस्तक पर लेते हैं। उनके साथ सेल्फी लेते हैं। ये सब क्षण पुस्तक मेले की शान होते हैं। तो यदि आप भी लेखक हैं तो आज ही से जुट जाएँ अपनी पुस्तक की तैयारी में जिसका विमोचन आगामी पुस्तक मेले में आप कर सकें।

पुस्तक मेला और पाठक: पाठकों के लिए तो ये मेला एक पुस्तकों का महासागर ही कहा जा सकता है। जिसमें अनंत मोती छिपे होते हैं। कई पाठक अपनी पसंद के मोती और अपनी पसंद की पुस्तकें खोजने मेले में आते हैं और पूरे दिन इधर उधर घूम कर नायाब पुस्तक रूपी मोती अपने लिए खोज कर ले जाते हैं। कई बार पाठक खोजने कुछ आता है और उसे मिल कुछ और भी बेहतर जाता है। पुस्तक मेलों में पाठकों को या सामान्य व्यक्ति को भी जरूर आना चाहिए। क्योंकि विचार एक ऊर्जा होती है, न जाने कौन सी ऊर्जा कब आपको अपनी तरफ आकर्षित करके आपने जीवन में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का कारण बन जाए। पुस्तक मेलों में बच्चों को अवश्य लेकर जाएँ उन्हें पुस्तक मेले में घूमने के लिए स्वतंत्र छोड़ दीजिए। और उन्हें प्रेरित करें की वो पुस्तकों के साथी बनें।

पुस्तक मेला और शिक्षण संस्थान : शिक्षण संस्थानों और पुस्तकों का तो चोली दामन का साथ है। किंतु कुछ शिक्षण संस्थान अपनी कोर्स की पुस्तकों के दाएं बाएं बच्चों को देखने की अनुमति देते ही नहीं हैं। जबकि आप बच्चों को जितना पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे उतरे ही बच्चे अपने विषय में पारंगत होते जाएँगे। शिक्षण संस्थाओं का दायित्व बनता है कि वो अपने संस्थान में एक अच्छी लाइब्रेरी का संचालन करें और सुनिश्चित करें कि उस पुस्तकालय में वर्तमान में प्रकाशित हो रही नई और उत्तम पुस्तकें अवश्य हों। न केवल विषय से सम्बंधित पुस्तकें ही पुस्तकालय में हों किंतु साहित्यिक लेखन भी अवश्य संग्रहीत हो। साहित्यिक पुस्तकों में बेशक पढ़ाये जाने वाला विषय न हो किंतु सभी विषयों को समझने की समझ और शक्ति साहित्य से ही प्राप्त होती है। आज जो भी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, लघुकथा आदि लिखी जा रही हैं वो आज के समाज से उत्पन्न होने वाले अनुभवों का अर्क है। यदि हम अपने विद्यार्थियों को ये सब पढ़ने नहीं देंगे तो विद्यार्थी समय के साथ बहना नहीं सीख सकेंगे। साहित्य आज भी कुंठाओं का समाधान देने में सक्षम है। अत: शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े सभी विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि शिक्षकों को भी सतसाहित्य की शरण में आना चाहिए। साहित्य ही हमें यह ज्ञान देता है कि कैसे पढ़ना है और कैसे समझना है।

पुस्तक मेला और प्रकाशन संस्थान : यदि बात करें कि पुस्तक मेले में प्रकाशकों की क्या भूमिका है तो इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि प्रकाशन संस्थान तो पुस्तक मेले की रीढ़ होते हैं। हर प्रकाशक पुस्तक मेले में अपनी श्रेष्ठ किताबें, नई किताबें लेकर पहुँचता है। प्रकाशन संस्थान का उद्देश्य लेखक और पाठक के बीच एक सेतु बनाने का होता है। जिसके लिए प्रकाशक रात दिन एक करता है पुस्तकों का चयन और उनको पुस्तक मेले में ले जाता है। इस उम्मीद से जाता है कि वो कुछ पुस्तक प्रेमियों और लेखकों से जुड कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सके। अत: पुस्तक मेले प्रकाशकों के बिना तो सूने ही रह जाएँगे।

आगामी दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की घोषणा हो चुकी है इस बार एक फरवरी से 9 फरवरी 2024 को यह पुस्तक मेला प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है। समदर्शी प्रकाशन भी इस मेले में उपस्थित होगा। अभी से नये लेखकों की किताबें आमंत्रित की जा रही हैं। अक्टूबर तक प्राप्त पांडुलीपियों को पुस्तक मेले में शोकेस किया जा सकेगा। अत: जो भी लेखक समदर्शी प्रकाशन की स्टॉल पर अपनी पुस्तक के साथ सेल्फी लेने का इच्छुक हैं वो लेखक समदर्शी प्रकाशन से सम्पर्क कर सकता है।

शुभम।

  • योगेश के. समदर्शी
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